पीएमपीएमएल टिकट दरों में वृद्धि: 4 दिनों में ₹8.67 करोड़ की कमाई, लेकिन सेवा की गुणवत्ता पर उठे सवाल
LOK SAMCHAR – RAJ RATHOD
पुणे: हाल ही में पीएमपीएमएल (पुणे महानगर परिवहन महामंडळ लिमिटेड) द्वारा टिकट दरों में की गई बढ़ोतरी के बाद मात्र चार दिनों में ₹8.67 करोड़ की कमाई हुई है। अधिकारियों का कहना है कि ईंधन, श्रम लागत और अन्य खर्चों में हुई बढ़ोतरी के कारण यह बढ़ोतरी आवश्यक थी, लेकिन यात्रियों ने सेवा की गुणवत्ता और बसों की संख्या को लेकर नाराजगी जताई है।
टिकट दर बढ़ने के बाद का राजस्व:
1 जून: ₹1.97 करोड़
2 जून: ₹2.35 करोड़
3 जून: ₹2.24 करोड़
4 जून: ₹2.11 करोड़
फ्लीट की स्थिति:
पीएमपीएमएल के पास कुल 827 बसें हैं, जिनमें से केवल 683 ही फिलहाल सड़क पर दौड़ रही हैं। वहीं निजी ऑपरेटरों की 1061 में से 1043 बसें चालू हैं। ऐसे में रोजाना की मांग पूरी नहीं हो पा रही है, जिससे यात्रियों को खचाखच भरी बसों में सफर करना पड़ रहा है या इंतजार करना पड़ता है।
यात्रियों की शिकायतें:
दैनिक यात्री सेवा में हो रही गिरावट, समय पर बस न मिलना और भीड़भाड़ को लेकर नाराज हैं।
कोथरूड की निवासी अर्चना कांबले ने कहा, “किराया बढ़ा रहे हैं लेकिन बसों की संख्या और हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा। बसों की हालत खराब है, और चोर अक्सर यात्रियों के सामान को निशाना बनाते हैं। सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है।”
एक अन्य यात्री विनोद पवार ने कहा, “अगर पीएमपीएमएल ईमानदारी से एक दिन की कमाई भी बसों की मरम्मत और देखभाल पर खर्च करे, तो ब्रेकडाउन कम हो सकते हैं और लोग सार्वजनिक परिवहन की ओर आकर्षित होंगे।”
पीआरओ किशोर चव्हाण के अनुसार, “पीएमपीएमएल ने पिछले महीने करीब ₹50 करोड़ का राजस्व प्राप्त किया था और किराया बढ़ने के बाद इसमें और बढ़ोतरी होगी। पिछले 11 सालों में किराया नहीं बढ़ाया गया था, जबकि इस दौरान ऑपरेशनल खर्चे काफी बढ़ गए हैं। 2014 में सीएनजी की दर ₹49 थी, जो अब ₹80 से अधिक हो चुकी है। इसके अलावा बिजली, कर्मचारियों के वेतन और स्पेयर पार्ट्स की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है।”
पीएमपीएमएल को अभी तक 400 में से 240 नई बसें (172 टाटा और 58 अशोक लीलैंड) मिल चुकी हैं। ये बसें ‘ग्रोस कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट’ (GCC) मॉडल के तहत शामिल की जा रही हैं। शेष बसों की आपूर्ति प्रक्रियाधीन है। साथ ही अतिरिक्त बसों की मांग सरकार को भेजी गई है।